Rising North East Investors Summit 2025 पूर्वोत्तर भारत के रणनीतिक तकनीकी का केंद्रबिंदु : डॉ. पेम्मासानी चंद्रशेखर

 

पूर्वोत्तर भारत एआई AI और 5जी 5G के साथ रणनीतिक डिजिटल केंद्रबिंदु के रूप में उभरा है

पूर्वोत्तर में एआई और 5जी अब अमूर्त नहीं हैं - वे कार्यवाही योग्य, निवेश योग्य, प्रभावशाली हैं: डॉ. चंद्रशेखर  
Dr. Pemmasani Chandra Shekhar


1.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश ने पूर्वोत्तर में संपर्कता और अवसंरचना में परिवर्तन किया है

युवाओं के नेतृत्व वाले नवाचार और स्टार्टअप ने पूर्वोत्तर को वैश्विक तकनीकी क्षेत्र में अग्रणी बनाया

एआई और 5जी अनुप्रयोग ने स्वास्थ्य सेवा, शासन और सांस्कृतिक संरक्षण में क्रांतिकारी बदलाव किए हैं

पूर्वोत्तर को आसियान के लिए भारत का प्रवेश द्वार और ग्रीन डेटा सेंटर का केंद्र बनाया गया है

डॉ. चंद्रशेखर  का उद्योग जगत से आह्वान: उभरते पूर्वोत्तर में 'आओ, सहयोग करें, सह-निर्माण करें'

केंद्रीय संचार और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. पेम्मासानी चंद्रशेखर ने आज कहा कि पूर्वोत्तर भारत की परिधि नहीं हैबल्कि यह इसकी रणनीतिक और डिजिटल सीमा है - एक ऐसा क्षेत्र जहां नीति संभावना से मिलती हैप्रकृति नेटवर्क से मिलती है और विरासत हाइपर-संपर्कता से मिलती है ।" उन्होंने भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में तेजी से हो रहे डिजिटल परिवर्तन को रेखांकित किया और राष्ट्र के लिए एक रणनीतिक और तकनीकी सीमा के रूप में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।

डॉ. चंद्रशेखर ने आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट 2025 में अष्टलक्ष्मी के लिए आईटी – बिट्स और बाइट्स से परेएआई और 5जी तक विषय पर एक महत्वपूर्ण सत्र को संबोधित किया। इस सत्र में त्रिपुरा के मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा और मणिपुर के मुख्य सचिव सहित कई प्रतिष्ठित गणमान्य लोगों ने भी भाग लिया।

वर्ष 2014 के बाद पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) की परिवर्तनकारी यात्रा के बारे में बताते हुएडॉ. चंद्रशेखर ने इस प्रगति का श्रेय केंद्र सरकार के दृष्टिकोण को दियाजिसने पूर्वोत्तर को हाशिये से निकालकर मुख्यधारा में ला दियाजो भारत की एक्ट ईस्ट नीति का आधार है। उन्होंने कहा कि इस परिवर्तन को पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा हैजिनके गतिशील नेतृत्व से क्षेत्र की पूरी क्षमता का प्रयोग हो रहा है।

पूर्वोत्तर क्षेत्र जिसमें आठ विविध राज्य शामिल हैंजिन्हें सामूहिक रूप से अष्टलक्ष्मी के रूप में जाना जाता हैवर्षों के डिजिटल अंतर और सीमित संपर्कता से निकलकर नवाचार और विकास के जीवंत केंद्र बन गए हैं। डॉ. शेखर ने कहा, " पिछले दशक मेंडिजिटल और भौतिक बुनियादी ढांचे में ₹1.5 लाख करोड़ से अधिक का विशेष रूप से निवेश किया गया हैजिसमें 50,000 करोड़ रुपए भारतनेट और डिजिटल नॉर्थ ईस्ट दृष्टिकोण को समर्पित हैं। " आज, 90 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र जी कवरेज की सुविधा उपलब्‍ध है और 80 प्रतिशत ग्रामीण परिवार फाइबर ऑप्टिक्स के माध्यम से डिजिटल रूप से जुड़े हुए हैं।

उन्‍होंने इस बात पर जोर दिया कि बुनियादी ढांचा परिवर्तन का सिर्फ एक पहलू हैअसली ताकत इस क्षेत्र के प्रतिभाशाली और डिजिटल रूप से कुशल युवाओं में निहित है। आईआईटी गुवाहाटी और एनआईटी सिलचर जैसे प्रमुख संस्थानों द्वारा अत्याधुनिक प्रतिभाओं को बढ़ावा दिए जाने के साथपूर्वोत्तर में एगस्पर्ट जैसे स्टार्टअप का उदय हो रहा हैजो स्थानीय और वैश्विक स्तर पर कृषि चुनौतियों का समाधान करने के लिए एआई और ड्रोन तकनीक का लाभ उठा रहे हैं। डॉ. शेखर ने कहा, " डिजिटल इंडियाभारतनेटस्टार्टअप इंडिया और राष्ट्रीय एआई रणनीति सहित सरकार की नीतियां उद्योग को इस प्रतिभा का लाभ उठाने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान कर रही हैं ।"

डॉ. शेखर ने पूर्वोत्तर में एआई और 5जी तकनीक के व्यावहारिक अनुप्रयोगों के बारे में विस्तार से बताया। उन्‍होंने अरुणाचल प्रदेश में 5जी-सक्षम टेलीमेडिसिन नेटवर्क और त्रिपुरा में भाषिणी पहल का संदर्भ दिया, जो शासन को बेहतर बनाने के लिए 22 भाषाओं में एआई-संचालित वास्तविक समय अनुवाद प्रदान करता है। उन्होंने एक दृष्टिकोण साझा किया जहां इमर्सिव एआर अनुभव काजीरंगा और सिक्किम में पर्यटन को बढ़ावा देते हैंएआई 200 से अधिक स्थानीय भाषाओं को संरक्षित करता हैऔर पारंपरिक हस्तशिल्प एआई-संचालित ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचते हैं। उन्होंने रोजगार के नए अवसर सृजित करते हुए सीमाओं की सुरक्षा के लिए एआई-संचालित सुरक्षा प्रणालियों की क्षमता पर भी प्रकाश डाला।

डॉ. शेखर ने जोर देकर कहा, " यह कोई अमूर्त सपना नहीं हैये कार्यान्वयन योग्यनिवेश योग्य और प्रभावशाली अवसर हैं जो राष्ट्रीय उद्देश्यों और स्थानीय आकांक्षाओं के साथ संरेखित हैं।" उन्होंने उद्योग जगत के अग्रणी व्‍यक्तियों और शैक्षणिक जगत के प्रमुख व्‍यक्तियों को " आओसहयोग करो और सह-निर्माण करो " के लिए आमंत्रित किया।

उन्होंने पूर्वोत्तर को आसियान की ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए भारत के प्राकृतिक प्रवेश द्वार के रूप में स्थापित कियाजो 98 प्रतिशत अंतर्राष्ट्रीय सीमा संपर्कप्रचुर मात्रा में नवीकरणीय ऊर्जा और हरित डेटा केंद्रों के लिए जलवायु उपयुक्तता से लैस है।

डॉ. चंद्रशेखर ने भविष्य की कल्पना करते हुए निष्कर्ष निकाला कि "असम के चाय बागान जो कभी ब्रिटिश साम्राज्य को संपदा देते थेअब एआई एल्गोरिदम को शक्ति प्रदान करेंगे। रणनीतिक सीमाएं जो कभी हमारी सुरक्षा चुनौतियों को परिभाषित करती थींअब रक्षा तकनीक में हमारी बढ़त बन जाएंगी। भारत का भविष्य सिर्फ़ महानगरों से नहीं बल्कि हर उस क्षेत्र से होगा जहां दृष्टिकोणसाहस और सपनों को वास्‍तविकता में परिवर्तित करने की इच्छाशक्ति है।"(PIB)

Post a Comment

Previous Post Next Post