केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जे पी नड्डा J.P. Ndda ने की ‘कायाकल्प मंथन’ Kayakalp Manthan की अध्यक्षता

 


पिछले दशक में किए गए महत्वपूर्ण सुधारों के बारे में बताया और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा वितरण को और बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता को रेखांकित किया गया

सार्वजनिक सेवा वितरण की लगातार बढ़ती आवश्यकता को पूरा करने के लिए रोगी-केंद्रित इकोसिस्टम की ओर बढ़ना महत्वपूर्ण है: श्री जे पी नड्डा


सभी स्वास्थ्य सेवा संस्थानों में सेवाओं की ऊंची गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए निरंतर क्षमता निर्माण, निगरानी, ​​नियमित समीक्षा और सार्थक कदमों के महत्व पर जोर दिया गया।

कायाकल्प योजना की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए जनभागीदारी के माध्यम से स्थानीय समुदायों को शामिल करने और स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रति अपनेपन की भावना को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया गया

दिल्ली और अन्य प्रमुख शहरों में प्रमुख संस्थानों पर दबाव कम करने के लिए उप-स्वास्थ्य केंद्रों सहित विशेष रूप से जमीनी स्तर पर राज्यों के अस्पतालों पर अधिक ध्यान देने का आह्वान किया गया


केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज यहां बेहतर स्वास्थ्य परिणाम हासिल करने के लिए जनभागीदारी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार के अस्पतालोंगैर सरकारी संगठनों और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हुए ‘कायाकल्प मंथन’ की अध्यक्षता की। उन्होंने पूरे भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में स्वच्छतासफाई और संक्रमण नियंत्रण के तौर-तरीकों को बढ़ावा देने के लिए 10 साल पहले शुरू की गई कायाकल्प योजना की परिवर्तनकारी यात्रा पर प्रकाश डाला। 2015 में 10 केंद्र सरकार के अस्पतालों की भागीदारी के साथ शुरू की गई इस योजना में अब 25 केंद्र सरकार के अस्पताल और संस्थान शामिल हैंजिससे देश भर में कई स्वास्थ्य सेवा केंद्रों तक इसकी पहुंच बढ़ गई है। राज्य सरकार के अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवा संस्थानों मेंयह योजना राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के माध्यम से संचालित होती है।



मंथन में अपने संबोधन में श्री नड्डा ने इस बात पर जोर दिया कि इस योजना के तहत खासी प्रगति हुई हैलेकिन इसमें और सुधार की गुंजाइश है। उन्होंने इन दो मुख्य बातों पर जोर दिया: (i) पिछले दशक में पर्याप्त सुधार हुए हैंलेकिन सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा वितरण को और बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रयास किए जाने की आवश्यकता हैऔर (ii) सार्वजनिक सेवा वितरण की बढ़ती अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए रोगी-केंद्रित इकोसिस्टम की ओर बढ़ना महत्वपूर्ण है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने स्वास्थ्य सुविधाओं में पर्यावरण और माहौल के महत्व के बारे में बात करते हुए, इस बात पर जोर दिया कि एक अस्पताल का सकारात्मक माहौल रोगियों और कर्मचारियों दोनों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। उन्होंने बताया कि भले ही हजारों मरीज रोजाना अस्पतालों में आते हैं और गुणवत्तापूर्ण उपचार हासिल करते हैंलेकिन सर्वोत्तम नैदानिक ​​उपचार मिलने के बावजूद रोगी की ओर से सकारात्मकता की कमी देखी जाती हैजिसके लिए अस्पतालों से रोगियों और जनता के बीच आत्मनिरीक्षण और बेहतर संचार की आवश्यकता है।

चर्चा का मुख्य बिंदु सरकारी अस्पतालों के प्रति धारणा और उनकी छवि निर्माण में योगदान देने वाले कारक थे। केंद्रीय मंत्री ने व्यावहारिक समाधानों की पहचान करने और उन्हें लागू करने के क्रम में, सभी हितधारकों से इन धारणाओं के मूल कारणों को समझने पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह कियाजिसमें बुनियादी ढांचेसफाईकर्मचारियों के व्यवहारसुविधाओं और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे शामिल हैं।

श्री नड्डा ने कहा कि अस्पतालों के सामने आने वाली चुनौतियां अलग-अलग हो सकती हैंलेकिन इनमें से कई को बेहतर प्रबंधन और सेवाओं की प्राथमिकता के माध्यम से संबोधित किया जा सकता है। हालांकिप्राथमिकता और उचित ध्यान नहीं दिए जाने के कारण चुनौतियां पुरानी हैं और इससे रोगियों को दी जाने वाली सेवाए कम हो जाती हैं।



मंथन के दौरान रचनात्मक चर्चाओं से उत्साहित होकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि समस्याओं की पहचान करना सुधार की दिशा में पहला कदम है। उन्होंने सभी स्वास्थ्य सेवा संस्थानों में सेवाओं की ऊंची गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए निरंतर निगरानी​​नियमित समीक्षा और सार्थक कदमों के महत्व पर जोर दिया।

बेहतर स्वास्थ्य सेवा परिणाम हासिल करने में जनभागीदारी की भूमिका पर खास जोर दिया गया। मंत्री ने जोर देकर कहा कि स्थानीय समुदायों को शामिल करने और स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रति अपनेपन की भावना को प्रोत्साहित करने से कायाकल्प योजना की प्रभावशीलता बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि इस पहल की निरंतर सफलता सुनिश्चित करने के लिए इसे एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन के रूप में बढ़ावा देने की जरूरत है।

दिल्ली और अन्य प्रमुख शहरों में प्रीमियम संस्थानों पर बढ़ते दबाव के मुद्दे परश्री नड्डा ने विशेष रूप से जमीनी स्तर पर विशेषकर उप-स्वास्थ्य केंद्रों (एसएचसी) सहित राज्य के अस्पतालों में अधिक ध्यान देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भविष्य की रणनीति में प्रशिक्षणक्षमता निर्माणनवाचार और पर्यावरण अनुकूल दृष्टिकोण अपनाने पर जोर दिया जाएगा। लोगों की भागीदारी बढ़ाने और स्वास्थ्य सेवा वितरण में प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने पर ध्यान केंद्रित करना भी शीर्ष-स्तरीय संस्थानों पर बोझ को कम करने के लिए महत्वपूर्ण होगा।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने अपनी बात का समापन करते हुए दोहराया कि “कायाकल्प केवल स्वच्छता पहल नहीं हैबल्कि यह स्वास्थ्य सेवाओं को प्रदान करनेउनकी परिकल्पना करने और उन्हें क्रियान्वित करने के तरीके में एक परिवर्तन है”। उन्होंने उम्मीद जताई कि सभी हितधारक आज के सत्र से सीख लेंगे और यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करेंगे कि भारत के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में स्वच्छतास्वास्थ्य और कुशल सार्वजनिक सेवा वितरण के उद्देश्य पूरे हों।

बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की अपर सचिव श्रीमती रोली सिंहकेंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अपर सचिव एवं वित्तीय सलाहकार श्री जयदीप कुमार मिश्राकेंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अपर सचिव डॉ. विनोद कोतवालडीजीएचएस डॉ. सुनीता शर्माकेंद्रीय स्वास्थ्य संस्थानों और एनजीओ के प्रमुख एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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